कोई एक फ़ंड ऐसा नहीं है जो सबके लिए सही हो

हर शनिवार, मैं एक ऐसे विषय पर अपना नज़रिया आपसे शेयर करता हूं जो मेरी नज़र में निवेशकों के लिए ज़रूरी लगता है. इस बार, समझते हैं कि क्यों मिड- और स्मॉल-कैप फ़ंड्स सोने के अंडे देने वाली मुर्ग़ी नहीं हैं जैसा हर कोई सोच रहा है.

आगे यू-टर्न है?

निवेशक अक्सर पूछते हैं, “मुझे किस फ़ंड में निवेश करना चाहिए?” वे इस बात का पक्का जवाब चाहते हैं कि उनके लिए ‘सबसे अच्छा’ विकल्प क्या है. बदक़िस्मती से, ये नज़रिए की बुनियाद ही ग़लत है. सबसे सही शुरुआती सवाल ये होगा, “मुझे किस तरह के फ़ंड में निवेश करना चाहिए?” सही फ़ंड का चुनाव नीचे से ऊपर की ओर चुनने की बात नहीं है, बल्कि ऊपर से नीचे की ओर फ़ैसला लेना है.

बुनियादी सवाल के बारे में सोचें – “मुझे किस फ़ंड में निवेश करना चाहिए?” यहां महत्वपूर्ण शब्द ‘फ़ंड’ नहीं बल्कि ‘मुझे’ यानी, ख़ुद निवेशक है. जहां निवेश के लिए कई फ़ंड सही हो सकते हैं, वहीं इसमें सबसे बड़ा फ़ैक्टर निवेश करने वाला व्यक्ति होता है. यानी, निवेशक कौन है? निवेशक के लक्ष्यों और परिस्थितियों को उसके निवेश से जुड़े फ़ैसलों का आधार होना चाहिए.

तो, आइए सही सवाल की तह में उतरते हैं, “मुझे किस तरह के फ़ंड में निवेश करना चाहिए?” ये सवाल निवेशकों को किसी ख़ास फ़ंड को जांचने-परखने से पहले उनकी अपनी आर्थिक स्थिति, अपने पैसों के साथ रिस्क लेने की क्षमता और लंबे समय के मक़सद पर सोचने के लिए मजबूर करता है.

मिसाल के तौर पर, ज़्यादा रिस्क सहने की क्षमता और लंबी अवधि का निवेश करने वाले एक युवा पेशेवर शख़्स के लिए अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा फ़ुल-थ्रॉटल मिड- और स्मॉल-कैप फ़ंड्स में लगाना अच्छा हो सकता है. इसके उलट, हो सकता है कि 50 साल के व्यक्ति को अपने पोर्टफ़ोलियो में ऐसे फ़ंड केवल 20 या 30 प्रतिशत ही चाहिए हों. फ़ंड के प्रकार से शुरू करके, निवेशक अपने विकल्पों को उनके मैनेजमेंट स्टाइल तक सीमित कर सकते हैं जो उनकी ज़रूरतों और लक्ष्यों के मुताबिक़ हों. इसके साथ, ये नज़रिया निवेश पोर्टफ़ोलियो को निवेशक की ज़रूरत से ज़्यादा मेल खाने वाला बना देता है. इससे निवेशक, नए-नए ट्रेंड्स के पीछे भागने के बजाय, निवेशक एक सोचे-समझे प्लान पर चल सकते हैं.मैंने अब तक जो कुछ भी कहा, वो हमेशा सच रहा है. हालांकि, पिछले कुछ साल के दौरान कहानी में एक मोड़ आया है, और वो है, हाई-ग्रोथ पोर्टफोलियो के लिए मिड- और स्मॉल-कैप फ़ंड ज़्यादा रखने का आइडिया. भारतीय म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों के बीच जो कहानी चल निकली है, वो ये कि अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड से अपने रिटर्न को ज़्यादा से ज़्यादा करना चाहते हैं, तो इसका तार्किक विकल्प स्मॉल- और मिड-कैप फ़ंड की अपनी होल्डिंग को अधिकतम रखना है. अब, मैं ये नहीं कह रहा हूं कि ये आइडिया पूरी तरह से ग़लत है – इस विश्वास का एक आधार है, जैसा कि म्यूचुअल फ़ंड इनसाइट की हमारी अगस्त 2024 अंक की कवर स्टोरी आपको दिखाएगी.इस कवर स्टोरी में आप ये भी समझ पाएंगे कि अब इस बात को मानने का एक ठोस आधार है कि किसी भी पोर्टफोलियो में स्मॉल और मिड कैप पर बहुत ज़्यादा निर्भर होना, ख़तरे के निशान के पास पहुंच रहा है. हालांकि, निवेश में सब कुछ साइक्लिकल है, पर मिड और स्मॉल-कैप तो बहुत ज़्यादा साइक्लिकल हैं. और ये बात केवल फ़ंड्स के लिए ही नहीं बल्कि सभी छोटे व्यवसायों के लिए भी सच है.हाल के कुछ सालों में जो अच्छे नतीजे दे रहा है, ज़रूरी नहीं कि वो भविष्य में भी बेहतर प्रदर्शन करे. स्मॉल-कैप निवेश का उतार-चढ़ाव वाले स्वाभाव को हमेशा याद रखना ज़रूरी है.तेज़ी के बाज़ार में अक्सर निवेशक ख़ुद को आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करते हैं, ये मानते हुए कि वे इक्विटी के काम करने के तरीक़े की अपनी समझ के कारण किसी भी तरह के बाज़ार में उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं. ऐसे समय में इक्विटी निवेश सीधा-सादा लग सकता है, और जो लोग रिस्क और उतार-चढ़ाव के बारे में चेतावनी देते हैं, उन्हें कुछ ज़्यादा ही सतर्क रहने वाला समझ लिया जाता है. ज़ाहिर है, जब बाज़ार में गिरावट आ जाए और निवेश की वैल्यू हर रोज़ कम होने लगे, तो ये नज़रिया नाटकीय रूप से बदल सकता है. ऐसे चुनौती भरे दौर में ही निवेशक की रिस्क लेने की असली क्षमता और सहनशीलता की परीक्षा होती है.निवेशकों के लिए ये बात अहम होनी चाहिए कि वो बाज़ार के रुझान और फ़ंड के प्रदर्शन को समझें, लेकिन निवेश की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू, आपके निवेश विकल्पों को आपके अपने आर्थिक लक्ष्यों, रिस्क को लेकर आपकी सहनशीलता और आपके निवेश की अवधि के साथ मेल खाना चाहिए. ये बात, किसी भी क़ीमत पर सबसे ज़्यादा रिटर्न का पीछा करने की नहीं, बल्कि एक संतुलित और व्यक्तिगत निवेश रणनीति तैयार करने की है जो बाज़ार में उतार-चढ़ाव का सामना कर सके और समय के साथ आपके आर्थिक उद्देश्यों को पाने में आपकी मदद कर सके.अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में अतीत सीधे-सीधे तरीक़े से दोहराया जाएगा, तो आपको किसी न किसी मौक़े पर कोई चौंकाने वाला बुरा अनुभव ज़रूर होगा.
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